बातें करनी है आपसे,
लेकिन बात कौन करे ?
ज़रूरी है एक मुलाक़ात,
मुलाक़ात कौन करे ?
तारे आ गए हैं आसमान में,
लेकीन चाँद के बीना रात कौन करे ?
अमावस के इस घने अंधेरे में,
सुरज के बीना प्रभात कौन करे ?
घौसलें हैं सब ख़ाली-ख़ाली,
पंछीयों के बीना चहचहाट कौन करे ?
बातें करनी है...
छायी तो है बहार बाग़ों में भी,
लेकीन मधुकर के बीना फ़ूलों पे ऐतबार कौन करे?
व्यर्थ ही तारीफ़ करते हैं लोग फ़ूलों की,
हवाओं के बीना इनकी खू़श्बु से प्यार कौन करे?
मोर तो नाचने को बेताब है,
मगर बीना बादलों के बरसात कौन करे ?
बातें करनी है...
फ़ल तो आ गए हैं इन पर,
किन्तु पंछीयों के सिवा वृक्षों से वार्तालाप कौन करे ?
गर्मी की भरी दोपहरी में,
कोयल के बीना आलाप कौन करे ?
वर्षा की फुहारों के बीना,
धरा तुमसे शरारत कौन करे?
बातें करनी है...
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